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BEEJ MANTRA बीज मन्त्र

BEEJ MANTRA शास्त्रों में अनेकों बीज मन्त्र कहे हैं, आइये बीज मन्त्रों का रहस्य जाने- नवार्ण मन्त्र रहस्य :- ****************   ||ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे||  क्या होता हैं , क्यों करते हैं यदि ये पूछा जाये तो बहुत से सामान्य लोग (जो साधक नहीं हैं ।) हमेशा अनुत्तरित रह जाते हैं । ये माता का मन्त्र हैं इसलिए   करते है कहकर शांत हो जाते हैं । मै प्रयास कर रहा हूँ की आमजन ये जाने की इस मन्त्र का अर्थ क्या है ।  एक एक वर्ण का अर्थ लिख रहा हूँ ।    ऐं -------- यह ज्ञान प्रदात्री सरस्वती का बीज मन्त्र है । गुरु बीज मन्त्र भी है । इसे वाक् बीज भी कहते है । वाणी की अधिदेवता अग्नि है, सूर्य तेज रूप अग्नि ही है । सूर्य से ही दृष्टि मिलती है । दृष्टी सत्य की पीठ है । यही सत्य परब्रह्म हैं । इस प्रकार "ऐं"  का उदय अग्नि है मणिपूर आयतन वाक् शक्ति का विशुद्धचक्र विकास जिह्लाग्र भाग है । इस मन्त्र का जापक विद्वान् हो जाता है ।  सरस्वती राहस्योपनिषद् , योग शिखोपनिषद्  ग्रंथो मै इस बीज मन्त्र के विस्तार , प्रयोग एवं महत्त्व को देखा जा सकता है ----...

Hanuman Dwadash Naam Stotram

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|| श्री हनुमान द्वादशनाम स्तोत्रम् || || Hanuman Dwadash Naam Stotram ||  हनुमानञ्जनासूनुर्वायुपुत्रो महाबल: । रामेष्ट: फलगुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: ॥ उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥ एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: । स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत् ॥ तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत् । राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन ॥ हनुमानजी के 12 नाम: 1- हनुमान 2 - अंजनिपुत्र 3 - वायुपुत्र 4 - महाबल 5 - रामेष्ट 6 - फाल्गुनसखा 7 - पिंगाक्ष 8 - अमितविक्रम 9 - उदधिक्रमण 10 - सीताशोकविनाशन 11 - लक्ष्मणप्राणदाता 12 - दशग्रीवस्य दर्पहा कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे श्री संत ज्योतिष ज्ञान पीठ पंडित प्रियेश मौद्गिल Mobile No. +91 9996391452

Nakshtra सत्ताईस नक्षत्रों के वृक्ष

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सत्ताईस नक्षत्रों के वृक्ष ज्योतिष के अनुसार 9 ग्रहों का प्रभाव मानव ,जीवो, पेड़ पोधो, सब पर पड़ता है। हर ग्रह का एक नक्षत्र होता है। परन्तु हर नक्षत्र का एक वृक्ष होता है । नक्षत्रो के माध्यम से भी ग्रहों के कुप्रभाव को सही किया जासकता है। कोई भी व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्ष की पूजा करके अपनें नक्षत्र को ठीक कर सकता है। यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है। नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष 1 अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष :– केला, आक, धतूरा । 2 भरणी नक्षत्र का वृक्ष :–केला, आंवला। 3 कृत्तिका नक्षत्र का वृक्ष :– गूलर । 4 रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष :– जामुन । 5 मृगशिरा नक्षत्र का वृक्ष :– खैर। 6 आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष :– आम, बेल । 7 पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष:– बांस । 8 पुष्य नक्षत्र का वृक्ष :– पीपल । 9 आश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष :– नाग केसर और चंदन। 10 मघा नक्षत्र का वृक्ष :– बड़। 11 पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- ढाक। 12 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- बड़ और पाकड़। 13 हस्त नक्षत्र का वृक्ष :...

शनि अष्टोत्तरशतनामावली

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शनि अष्टोत्तरशतनामावली  शनि बीज मन्त्र - ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः । ॐ शनैश्चराय नमः । ॐ शान्ताय नमः । ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः । ॐ शरण्याय नमः । ॐ वरेण्याय नमः । ॐ सर्वेशाय नमः । ॐ सौम्याय नमः । ॐ सुरवन्द्याय नमः । ॐ सुरलोकविहारिणे नमः । ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः । १० ॐ सुन्दराय नमः । ॐ घनाय नमः । ॐ घनरूपाय नमः । ॐ घनाभरणधारिणे नमः । ॐ घनसारविलेपाय नमः । ॐ खद्योताय नमः । ॐ मन्दाय नमः । ॐ मन्दचेष्टाय नमः । ॐ महनीयगुणात्मने नमः । ॐ मर्त्यपावनपदाय नमः । २० ॐ महेशाय नमः । ॐ छायापुत्राय नमः । ॐ शर्वाय नमः । ॐ शततूणीरधारिणे नमः । ॐ चरस्थिरस्वभावाय नमः । ॐ अचञ्चलाय नमः । ॐ नीलवर्णाय नमः । ॐ नित्याय नमः । ॐ नीलाञ्जननिभाय नमः । ॐ नीलाम्बरविभूशणाय नमः । ३० ॐ निश्चलाय नमः । ॐ वेद्याय नमः । ॐ विधिरूपाय नमः । ॐ विरोधाधारभूमये नमः । ॐ भेदास्पदस्वभावाय नमः । ॐ वज्रदेहाय नमः । ॐ वैराग्यदाय नमः । ॐ वीराय नमः । ॐ वीतरोगभयाय नमः । ॐ विपत्परम्परेशाय नमः । ४० ॐ विश्ववन्द्याय नमः । ॐ गृध्नवाहाय नमः । ॐ गूढाय नमः । ॐ कूर्माङ्गाय नमः । ॐ कुरूपिणे नमः । ॐ कुत्सिताय नमः । ॐ गुणाढ्याय नमः । ॐ गोचराय...

Shri Durga Name श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामावली

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श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामावली।।३।।  अस्यश्री दुर्गाऽष्टोत्तरशतनाम महामन्त्रस्य नारद ऋषिः गायत्री छन्दः श्री दुर्गा देवता परमेश्वरीति बीजं कृष्णानुजेति शक्तिः शाङ्करीति कीलकं दुर्गाप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ध्यानम् प्रकाशमध्यस्थितचित्स्वरूपां वराभये सन्दधतीं त्रिनेत्राम् । सिन्दूरवर्णामतिकोमलाङ्गीं मायामयीं तत्वमयीं नमामि ॥ अथ श्री दुर्गाऽष्टोत्तरशतनामावलिः । ॐ दुर्गायै नमः । ॐ दारिद्र्यशमन्यै नमः । ॐ दुरितघ्न्यै नमः । ॐ लक्ष्म्यै नमः । ॐ लज्जायै नमः । ॐ महाविद्यायै नमः । ॐ श्रद्धायै नमः । ॐ पुष्ट्यै नमः । ॐ स्वधायै नमः । ॐ ध्रुवायै नमः । १० ॐ महारात्र्यै नमः । ॐ महामायायै नमः । ॐ मेधायै नमः । ॐ मात्रे नमः । ॐ सरस्वत्यै नमः । ॐ शिवायै नमः । ॐ शशिधरायै नमः । ॐ शान्तायै नमः । ॐ शाम्भव्यै नमः । ॐ भूतिदायिन्यै नमः । २० ॐ तामस्यै नमः । ॐ नियतायै नमः । ॐ नार्यै नमः । ॐ काल्यै नमः । ॐ नारायण्यै नमः । ॐ कलायै नमः । ॐ ब्राह्म्यै नमः । ॐ वीणाधरायै नमः । ॐ वाण्यै नमः । ॐ शारदायै नमः । ३० ॐ हंसवाहिन्यै नमः । ॐ त्रिशूलिन्यै नमः । ॐ त्रिनेत्रायै नमः । ॐ ईशानायै नमः । ॐ त्रय्यै नम...

Jupiter Planet Yellow Stones for बृहस्पति ग्रह

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  यह बृहस्पति ग्रह को उच्च करता है। आप जो भी प्रयास करते हैं उसमें भाग्य आपका साथ देता है। यह विवाह में देरी को दूर करता है; लड़कियों की जल्दी शादी करने के लिए पीला सिट्रीन एक अंतिम उपाय है। यह ज्ञान, बुद्धि, तेज स्मृति, ध्यान, निर्णायकता, दृढ़ संकल्प, मानसिक स्पष्टता और आत्मविश्वास पैदा करता है। यह आपको आत्मविश्वासी, अभिव्यंजक और मौलिक बनाता है। यह आपको इस हद तक सकारात्मक और धैर्यवान बनाता है कि आलोचना अब आपको परेशान या प्रभावित नहीं करती है। यह चिंता, अवसाद, भय और भय पर विजय प्राप्त करता है। इसे जल्दी से पकड़ने की शक्ति और समस्या को सुलझाने का कौशल मिलता है। यह आपको प्रभावित हुए बिना कठिन परिस्थितियों से लड़ने में मदद करता है। यह आपको उत्साही और प्रेरित बनाता है; यह आसपास की संभावनाओं और अवसरों को देखने में भी मदद करता है। यह आपके समग्र व्यक्तित्व को समृद्ध करता है। यह हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है। यह बालों, त्वचा कोशिकाओं और नाखूनों के विकास को बढ़ावा देता है। यह पाचन और चयापचय में सुधार करता है। एलर्जी और संक्रमण को रोकना सबसे अच्छा है। यह किसी की यौन इच्छा को बढ़ाता...

Golden Sunstone Benefits SUN SITER अभिमंत्रित वे प्राण प्रतिष्ठित

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  Gold stone Benefits in Video By Astrologer Priyesh Moudgil  Like and subscribe my channel thank you  यह सूर्य ग्रह को उच्च करता है। यह त्रिक और सौर जाल चक्रों को सक्रिय करता है। यह आपको उदार व्यवहार और विचारों का बनाता है। आपको एक तरह के व्यक्तित्व का आशीर्वाद देते हुए, यह आपको भीड़ से अलग दिखने में मदद करता है। आप सबसे मौलिक विचारों और विचारों के साथ आते हैं। यह आपको अपार ऊर्जा और जुनून के साथ सशक्त बनाता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में दर्शाता है - चाहे वह व्यवसाय, करियर, प्रेम जीवन, कामुकता, रोमांस, या ऐसा ही हो। यह आपको प्रतियोगिता में सफलता दिलाता है। हर चीज में सफलता सुनिश्चित करके यह आपको भाग्यशाली बनाता है। आप जहां भी जाते हैं यह एक नेता की आपकी छवि बनाता है। यह जीवन में सही प्रकार के लोगों को लाकर आपके सामाजिक दायरे को बढ़ाता है। यह आपको हर जगह सम्मान और पहचान दिलाता है। यह आपको चुनौतियों और परिवर्तनों के लिए खुला बनाता है। यह आपके अंदर गर्मजोशी, करुणा, शक्ति और मानसिक स्थिरता का संचार करता है - जिसके होने से आप दूसरों की भी मदद करते हैं। यह आपको आत्मनिर्भर बनाता...

Mala Sanskar

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कोई भी जप या अनुष्ठान में माला की जरुरत होती है ! प्रायः बाजार से माला खरीदकर उसी से जप आरम्भ कर दिया जाता है । इस तरह की माला से किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पाता है l सर्वप्रथम माला खरीदने के बाद , माला का विधिवत तरीके से संस्कार करना चाहिए । माला के संस्कार की संपूर्ण विधि निचे दी गयी है । व्यवहारिक विधि  –    साधक सबसे पहले स्नान करके अपने शरीर को शुद्ध कर ले एवम उसके पश्चात अपने पूजा घर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाए । अब सर्व प्रथम इस मंत्र का उच्चारण करते हुवे अपने शरीर को पवित्र करे :- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।। फिर ३- बार आचमन करे पवित्रीकरण करने के बाद गणेश जी एवं अपने इष्ट देव का ध्यान करे , ध्यान एवम पूजा करने के बाद माला को , पीपल के पत्तो के ऊपर रख दीजिये माला शुद्धिकरण :-  सर्वप्रथम  माला का शुद्धिकरण  करेंगे , एक पात्र में आप को  साफ पानी लेना है और एक पात्र में आप को पंचगव्य (पंचगव्य :- गाय का दूध , दही , घी , गोमूत्र , गोबर ) लेन...

Priyesh Moudgil Astrologer Vedic

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GRAH EFFECTS ON LIFE (ग्रहों का स्वभाव , फल , रोग और कारकत्व)

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*ज्योतिष सिखने के लीऐ बेहद जरुरी है ग्रहों का स्वभाव , फल , रोग और कारकत्व* सूर्य। आकाश मंडल का मुख्य केंद्र, सभी ग्रह इसी के प्रकाश से प्रकाशमय होते है। सबसे ज्यादा बलवान और पराक्रमी ग्रह। कारक : आत्मा. पिता, नेत्र, पराक्रम, तेज़, माणिक्य, राजा, शासनादी, हड्डीयों, पेट एवं हृदय। कुंडली में १, ९, १० भाव का कारक। विचार : शारीरिक गठन, शक्ति, पिता, वैध, उच्च वर्ग, प्रतिष्ठा, ग्रीष्म ऋतु, सोना, तांबा, शरीर का सुख। पित प्रकृति, सतोगुण,अग्नि – तत्व, पुरुष जाति, पूर्व दिशा का स्वामी, दिन में बली। मेष राशि में १० अंश उच्च एवं तुला राशि में १० अंश नीच। रत्न : प्रिय रत्न माणिक्य, क्षत्रिय जाति का ग्रह।  रोग : रक्त, पित विकार, सिर दर्द, नेत्र रोग, ज्वर, ह्रदय रोग, अतिसार, पेट की बीमारी व हड्डियों का रोग, व्याकुलता । चंद्रमा मन के उपर प्रभाव, कुण्डली में चंद्रमा खराब होने पर मन और पाँचो इन्द्रियों पर प्रभाव। सूर्य से प्रकाश मिलने पर ही चमकता है, पूर्ण रूपसे पृथ्वी पर प्रभाव। तीव्र गति से घुमने वाला ग्रह ।सवा दो दिन एक राशी में भ्रमण , मन की संकल्प शक्ति चंद्रमा से प्रभावित। कारक : मन, बुद्धि, मा...

mantra mahima

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ॐ गं गणपतये नमः : इस मंत्र के जाप से व्यापार लाभ, संतान प्राप्ति, विवाह आदि में लाभ प्राप्त होता है। ॐ हृीं नमः : इस मन्त्र के जाप से धन प्राप्ति होती है। ॐ नमः शिवाय : यह दिव्य मन्त्र जाप से शारीरिक और मानसिक कष्टों का निवारण होता है। ॐ शांति प्रशांति सर्व क्रोधोपशमनि स्वाहा : इस मन्त्र के जाप से क्रोध शांत होता है। ॐ हृीं श्रीं अर्ह नमः : इस मंत्र के जाप से सफलता प्राप्त होती है। ॐ क्लिीं ॐ : इस मंत्र के जाप से रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं और बिगड़े काम बनते हैं। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय : इस मंत्र के जाप से आकस्मिक दुर्घटना से मुक्ति मिलती है। ॐ हृीं हनुमते रुद्रात्म कायै हुं फटः : सामाजिक रुतबा बढ़ता है और पदोन्नति प्राप्त होती है। ॐ हं पवन बंदनाय स्वाहा : भूत प्रेत और ऊपरी हवा से मुक्ति प्राप्त होती है। ॐ भ्रां भ्रीं भौं सः राहवे नमः : परिवार में क्लेश दूर होता है और शांति बनी रहती है। ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र के जाप से आयु में वृद्धि होती है और शारीरिक रोग दोष दूर होते हैं। ॐ महादेवाय नम: सामाजिक उन्नति और धन प्राप्ति के लिए यह मन्त्र उपयोगी है। ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र से पुत्र की प्राप...