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HEMATITE STONE FOR POSITIVE ENERGY ( अभिमंत्रित व प्राण प्रतिष्ठित ) चक्र चिकित्सा।

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  चक्र चिकित्सा। HEMATITE STONE FOR POSITIVE ENERGY ( अभिमंत्रित व प्राण प्रतिष्ठित ) प्राण ऊर्जा के प्रवाह को अच्छा करता है शरीर की ऊर्जा को संतुलित करना। ... तनाव से राहत और ऊर्जावान शुद्धि। ... शरीर में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। ... शरीर के सभी प्रकार के दर्दों को दूर करता है। ... शरीर की सभी कोशिकाओं को अधिकतम रूप से कार्य करता रहता है। ... मन और नसों को शांत करने में मदद करें। ... रचनात्मकता को बढ़ाएं। बुरी नजर से बचाने में प्रभावी सहायक सिद्ध होता है इस कारण आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और सफलता प्राप्त करते हैं अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें आपकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। यह चिंताओं को दूर करता है और आपके जीवन को आसान बनाता है। यह चक्र उपचार और संतुलन के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण है। इस प्रकार, यह आपको करियर, व्यवहार, रिश्तों और जीवन में स्थिरता को बढ़ावा देता है। यह आपके भीतर ज्ञान, परिपक्वता और ईमानदारी का संचार करता है। यह आपकी दृष्टि को साफ करता है और आपको लक्ष्य-उन्मुख बनाता है। यह समर्थन की भावना देता है जिसके साथ आप अकेला महसूस नहीं करते हैं। यह ...

NAAG GAYATRI MANTRA नाग गायत्री मंत्र ,सर्प सूक्त, राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें

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पूजन विधि 〰️〰️〰️〰️ नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे।  शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं। इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे। घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें। घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं। इसके बाद 'ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा' का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के क...

RAHU AND KETU राहु-केतु और डर

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राहु-केतु और डर - •• वो रात्रि में चौंक कर उठ बैठता था । फिर किसी कोने में छाये घुप्प अँधेरे को घूरने लगता था । अपने नींद से जाग जाने का उसको कोई कारण समझ नहीं आता था । लेकिन फिर उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ने लगती थी और वो एक झुरझुरी लेकर उस हो रहे प्रभाव को समझने का प्रयास करता था । वो एक डर था - जिसे वो जानता नहीं था । वो एक योगी था जो डर को भूला चूका था लेकिन उस समय हो रहे डर के प्रभाव को समझने का प्रयास कर रहा था । उस पर राहु की दशा चल रही थी । उसका चंद्र - राहु-केतु के साथ था । वो जानता था - अंधेरे में हो रही गतिविधि का नाम राहु था, हवा में हो रही साँय-साँय का नाम राहु था । अचानक प्रकट हो गये प्रभाव का नाम राहु था ।  इसलिये जब-जब वो रात्रि को चौंक कर उठ बैठता था तो अँधेरे को घूरने लगता था । मानो उसे राहु दिख जाने वाला था । लेकिन वो उस डर के प्रभाव को अपने अंदर अलग से समझ सकता था । वो खुद से ही सवाल करता था कि - ये कहाँ से उसके अंदर आया था । उसे तो मृत्यु से भी डर नहीं लगता था । वो तो मृत्यु का अनुभव करने को उत्सुक था । फिर ये क्या था और कहाँ से आया था । बहरहाल, इस तरह की हरक...

KUNDLI YOG - कुंडली में कुछ विशेष योग

कुंडली में कुछ विशेष योग 1. किसी भी ग्रह की महादशा में उसी ग्रह की अंतर्दशा अनुकूल फल नहीं देती।  2. योगकारक ग्रह की महादशा में पापी या मारक ग्रह की अंतर्दशा आने पर प्रारंभ में शुभ फल तथा उत्तरार्द्ध में अशुभ फल देने लगता है।  3. अकारक ग्रह की महादशा में कारक ग्रह की अंतर्दशा आने पर प्रारंभ में अशुभ तथा उत्तरार्द्ध में शुभ फल की प्राप्ति होती है। 4. भाग्य स्थान का स्वामी यदि भाग्य भाव में बैठा हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति प्रबल भाग्यशाली माना जाता है। 5. लग्न का स्वामी सूर्य के साथ बैठकर विशेष अनुकूल रहता है। 6. सूर्य के समीप निम्न अंशों तक जाने पर ग्रह अस्त हो जाते हैं, (चन्द्र-१२ अंश, मंगल-१७ अंश, बुध-१३ अंश, गुरु-११ अंश, शुक्र-९ अंश, शनि-१५ अंश) फलस्वरूप ऐसे ग्रहों का फल शून्य होता है। अस्त ग्रह जिन भावों के अधिपति होते हैं उन भावों का फल शून्य ही समझना चाहिए।  7. सूर्य उच्च का होकर यदि ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति अत्यंत प्रभावशाली तथा पूर्ण प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्तित्व होता है। 8. सूर्य और चंद्र को छोड़कर यदि कोई ग्रह अपनी राशि में बैठा हो ...