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जुलाई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

श्री संत ज्योतिष ज्ञान पीठ

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                                     श्री संत ज्योतिष ज्ञान पीठ                                   ( पं.  प्रियेश मौद्गिल  ) कुण्डली अध्ययन  के लिए संपर्क करे  : -  9996391452     जन्म कुण्डली निर्माण  कुण्डली  फलादेश कुण्डली मिलान  मूहुर्त   रत्न विशेषज्ञ  मेडिकल कुण्डली विशेषज्ञ  प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ  वास्तु विशेषज्ञ  यंत्र  विषेशज्ञ  ग्रह शांति  उपायों, मंत्र , पूजा , आराधना  के माध्यम से जीवन की हर समस्या के समाधान   !  जैसे : -  रोजगार  चयन , नौकरी न मिलना , विध्यार्थी  एजुकेशन  चयन,  काल सर्प योग , मांगलिक दोष , मांगलिक विचार , अशुभ  गोचर फल , साढ़े - साती ,  लग्न कुण्डली का कमजोर होना, व्यापार समस्या...

How Astrology is a Guide for the Success of a Person (कैसे ज्योतिष व्यक्ति की सफलता का मार्गदर्शक बनता है )

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( पं. प्रियेश मौद्गिल ) कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : - 9996391452

शनि ग्रह विचार

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 शनिवार के दिन सरसों के तेल में मीठे भजिए तलकर गरीबों को खिलाइए। शनि ग्रह से संबंधित कुंडली में जितनी भी बाधाएं हैं, सब शांत हो जाएंगी। शनिवार को काले कुत्ते, काली गाय को रोटी और काली चिड़‍िया को दाने डालने से जीवन की रुकावटें दूर होती है। शनिवार को तेल से बने पदार्थ भिखारी को खिलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। ( पं. प्रियेश मौद्गिल ) कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : - 9996391452

16 सिद्धियां सुना तो है पर होती क्या हैं? आइए जानें...!

16 सिद्धियां सुना तो है पर होती क्या हैं? आइए जानें...! 1. वाक सिद्धि :  जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, वह वचन कभी व्यर्थ न जाये, प्रत्येक शब्द का महत्वपूर्ण अर्थ हो, वाक् सिद्धि युक्त व्यक्ति में श्राप/वरदान देने की क्षमता होती है। 2. दिव्य दृष्टि सिद्धि : दिव्यदृष्टि का तात्पर्य हैं कि जिस व्यक्ति के संबंध में भी चिन्तन किया जाए। उसका भूत, भविष्य और वर्तमान एकदम सामने आ जाए, आगे क्या कार्य करना हैं, कौन सी घटनाएं घटित होने वाली हैं, इसका ज्ञान होने पर व्यक्ति दिव्यदृष्टियुक्त महापुरुष बन जाता है।  3. प्रज्ञा सिद्धि : प्रज्ञा का तात्पर्य यह हें की मेधा अर्थात स्मरणशक्ति,बुद्धि,ज्ञान इत्यादि! ज्ञान के सम्बंधित सारे विषयों को जो अपनी बुद्धि में समेट लेता हैं। वह प्रज्ञावान कहलाता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित ज्ञान के साथ-साथ भीतर एक चेतनापुंज जाग्रत रहता है। 4. दूरश्रवण सिद्धि :  इसका तात्पर्य यह हैं की भूतकाल में घटित कोई भी घटना, वार्तालाप को पुनः सुनने की क्षमता।  5. जलगमन सिद्धि : यह सिद्धि निश्चय ही महत्वपूर्ण हैं, इस ...

विषय:- मीठी वाणी के कुंडली में योग"

विषय:- मीठी वाणी के कुंडली में योग" 1⃣वाणी का नैसर्गिक कारक ग्रह बुध है..इसके अलावा कुंडली का द्वितीय भाव,वृषभ राशि,चंद्र,शुक्र और गुरु की सही स्थितियाँ जातक को मीठी वाणी प्रदान करते है। 2⃣द्वितीय या अष्टम में चंद्र+बुध+शुक्र तीनो बैठे हो तो जातक की वाणी मधुर और श्रोताओं को हर्षित करने वाली होती है। 3⃣द्वितीय भाव या वृषभ राशि मे यदि कोई ग्रह ना हो या कोई शुभ ग्रह हो साथ ही ये भाव/राशि शुभकर्तरी योग में आ जाये तो जातक कभी कटुवाणी नही बोलता। 4⃣चंद्र,बुध,शुक्र तीनो किसी भी क्रम में 12-1-2, 1-2-3, 2-3-4 में बैठ जाये तो जातक कम बोलने वाला होता है पर उसके शब्दों में बहुत वजन होता है। स्पष्ट और कोकिला वाणी प्राप्त करता है। 5⃣दशम में मित्र राशि में बैठा गुरु यदि द्वितीय भाव मे बैठे किसी भी स्वग्रही ग्रह को अमृतदृष्टि दे तो भी जातक की जुबान लड़ाई-झगड़े,Court के Trail या चुनावी रैलियों में नही फिसलती..वाणी संयमित होती है। 6⃣द्वितीय भाव में जलतत्व राशि हो और उसमें कोई जलतत्व वाला ग्रह अकेले या साथ मे बैठे हो तो भी जातक की वाणी सुरीली होती है और किसी का दिल नही दुखाती। ( पं. प्रियेश मौ...

उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रह

उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रह भारतवर्ष में अधिकतर ज्योतिषियों तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है कि अपनी उच्च राशि में स्थित ग्रह सदा शुभ फल देता है तथा अपनी नीच राशि में स्थित ग्रह सदा नीच फल देता है। उदाहरण के लिए शनि ग्रह को तुला राशि में स्थित होने से अतिरिक्त बल प्राप्त होता है तथा इसीलिए तुला राशि में स्थित शनि को उच्च का शनि कह कर संबोधित किया जाता है और अधिकतर ज्योतिषियों का यह मानना है कि तुला राशि में स्थित शनि कुंडली धारक के लिए सदा शुभ फलदायी होता है।                   किंतु यह धारणा एक भ्रांति से अधिक कुछ नहीं है तथा इसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है और इसी भ्रांति में विश्वास करके बहुत से ज्योतिष प्रेमी जीवन भर नुकसान उठाते रहते हैं क्योंकि उनकी कुंडली में तुला राशि में स्थित शनि वास्तव में अशुभ फलदायी होता है तथा वे इसे शुभ फलदायी मानकर अपने जीवन में आ रही समस्याओं का कारण दूसरे ग्रहों में खोजते रहते हैं तथा अपनी कुंडली में स्थित अ...

वक्री ग्रह

वक्री ग्रह लगभग हर दूसरे व्यक्ति की जन्म कुंडली में एक या इससे अधिक वक्री ग्रह पाये जाते हैं तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले अधिकतर लोगों के मन में यह जिज्ञासा बनी रहती है कि उनकी कुंडली में वक्री बताए जाने वाले इस ग्रह का क्या मतलब हो सकता है। वक्री ग्रहों को लेकर भिन्न-भिन्न ज्योतिषियों तथा पंडितों के भिन्न-भिन्न मत हैं तथा आज हम वक्री ग्रहों के बारे में ही चर्चा करेंगे। सबसे पहले यह जान लें कि वक्री ग्रह की परिभाषा क्या है।                                                              कोई भी ग्रह विशेष जब अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानि विपरीत दिशा में चलना शुरू कर देता है तो ऐसे ग्रह की इस गति को वक्र गति कहा जाता है तथा वक्र गति से चलने वाले ऐसे ग्रह विशेष को वक्री ग्रह कहा जाता है। उदाहरण के लिए शनि यदि अपनी सामान्य गति से कन्या राशि में भ्रमण कर रहे हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि शनि कन्या से तुला राशि की तरफ जा रहे ...

चांडाल योग

चांडाल योग चांडाल योग राहु-गुरु की युति या दृष्टि संबंध से बनता है, जिसे गुरु-चांडाल योग के नाम से जाना जाता है। इस योग की सबसे बड़ी बात यह है कि गुरु ज्ञान, धर्म, सात्विक, पंडित्व sharda का कारक है, तो राहु अनैतिक संबंध, अनैतिक कार्य, जुआ, सट्टा, नशाखोरी, अवैध व्यापार का कारक है। गुरु-राहु के संयोग की वजह से इसका प्रभाव जातक की कुंडली में इन ग्रहों के स्थानानुसार पड़ता है।  राहु गुरु के प्रभाव को नष्ट करता है व उस जातक को अपने प्रभाव में जकड़ लेता है। पराई स्त्रियों में मन लगवाता है, चारित्रिक पतन के बीज बो देता है। इसके अलावा ऐसा राहु हिंसक व्यवहार आदि प्रवृत्तियों को भी बढ़ावा देता है। सामान्यतः यह योग अच्छा नहीं माना जाता। जिस भाव में होता है, उस भाव के शुभ फलों की कमी करता है। यदि मूल जन्मकुंडली में गुरु लग्न, पंचम, सप्तम, नवम या दशम भाव का स्वामी होकर चांडाल योग बनाता हो तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। जीवन में कई बार गलत निर्णयों से नुकसान उठाना पड़ता है। पद-प्रतिष्ठा को भी धक्का लगने की आशंका रहती है। वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दा...