चांडाल योग
चांडाल योग
चांडाल योग राहु-गुरु की युति या दृष्टि संबंध से बनता है, जिसे गुरु-चांडाल योग के नाम से जाना जाता है। इस योग की सबसे बड़ी बात यह है कि गुरु ज्ञान, धर्म, सात्विक, पंडित्व sharda का कारक है, तो राहु अनैतिक संबंध, अनैतिक कार्य, जुआ, सट्टा, नशाखोरी, अवैध व्यापार का कारक है।
गुरु-राहु के संयोग की वजह से इसका प्रभाव जातक की कुंडली में इन ग्रहों के स्थानानुसार पड़ता है। राहु गुरु के प्रभाव को नष्ट करता है व उस जातक को अपने प्रभाव में जकड़ लेता है। पराई स्त्रियों में मन लगवाता है, चारित्रिक पतन के बीज बो देता है। इसके अलावा ऐसा राहु हिंसक व्यवहार आदि प्रवृत्तियों को भी बढ़ावा देता है।
सामान्यतः यह योग अच्छा नहीं माना जाता। जिस भाव में होता है, उस भाव के शुभ फलों की कमी करता है। यदि मूल जन्मकुंडली में गुरु लग्न, पंचम, सप्तम, नवम या दशम भाव का स्वामी होकर चांडाल योग बनाता हो तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। जीवन में कई बार गलत निर्णयों से नुकसान उठाना पड़ता है। पद-प्रतिष्ठा को भी धक्का लगने की आशंका रहती है।
वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। राहु मकर राशि में मित्र का ही माना जाता है (शनिवत राहु) अतः यह बुद्धि भ्रष्ट करता है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर प्रेरित करता है।
किन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गुरु चांडाल नाम का यह योग प्रत्येक जातक को अशुभ प्रभाव नहीं देता बल्कि इस योग के प्रभाव में आने वाले अनेक जातक बहुत अच्छे चरित्र तथा उत्तम मानवीय गुणों के स्वामीं भी होते हैं जिन्हें समाज में विशिष्ट स्थान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग निश्चिय ही जातक में भौतिकता को बढ़ावा दे सकता है किन्तु इस प्रकार के गुरु चांडाल योग का फलादेश करने से पहले कुंडली में गुरु तथा राहु के स्वभाव को जान लेना अति आवश्यक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी कुंडली में अशुभ राहु के शुभ गुरु के साथ संयोग होने से बनने वाला गुरु चांडाल योग गुरु की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं पर दुष्प्रभाव डाल सकता है जैसे कि यदि किसी कुंडली में शुभ गुरु यदि जातक के व्यवसाय को प्रदर्शित कर रहे हैं तो इस कुंडली में गुरु तथा अशुभ राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के कारण निश्चय ही ऐसा जातक धन कमाने के लिए अवैध तथा अनैतिक कार्यों का चुनाव कर सकता है क्योंकि अशुभ राहु का प्रभाव गुरु को भ्रष्ट कर देगा जिसका असर गुरु की विशेषता से संबंधित क्षेत्र अर्थात जातक के व्यवसायिक क्षेत्र में देखने को मिल सकता है।
किसी कुंडली में सबसे बुरी स्थिति तब देखने को मिल सकती है जब कुंडली में अशुभ राहु तथा अशुभ गुरु के संयोग से गुरु चांडाल योग का निर्माण हो रहा हो क्योंकि इस प्रकार के गुरु चांडाल योग के प्रभाव में आने वाले जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। किसी कुंडली में शुभ गुरु तथा शुभ राहु द्वारा बनाए जाने वाले गुरु चांडाल योग के परिणाम इस योग के साथ जोड़े गए दुष्परिणामों से बिल्कुल भिन्न होते हैं तथा शुभ गुरु और शुभ राहु द्वारा बनाया जाने वाला यह गुरु चांडाल योग जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अच्छे तथा शुभ फल प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए शुभ गुरु तथा शुभ राहु के किसी कुंडली के पांचवे घर में स्थित होने से बनने वाले गुरु चांडाल योग का शुभ प्रभाव जातक को एक प्रसिद्ध तथा प्रतिष्ठित दार्शनिक, समाज सेवी, संत, आध्यतामिक गुरु अथवा आध्यतमिक रूप से विकसित व्यक्ति अथवा ज्योतिषी इत्यादि बना सकता है तथा इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक समाज के हित के लिए विशेष रूप से प्रयास करते हैं जिसके कारण इन्हें समाज में यश तथा सम्मान प्राप्त होता है।
इसके अतिरिक्त किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग होने पर यह भी संभव होता है कि इन दोनों ग्रहों में से राहु शुभ हों तथा गुरु अशुभ हों जिसके चलते कुंडली में गुरु चांडाल योग तो बनेगा किन्तु यहां पर अशुभ गुरु ही वास्तव में चांडाल का काम करेंगे तथा अशुभ गुरु के प्रभाव में आने के कारण राहु को दोष लग जाएगा जिसके चलते जातक को राहु की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए किसी कुंडली में गुरु तथा राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के फलों के बारे में बताने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि उस कुंडली में गुरु तथा राहु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा इन दोनों के बल आदि के बारे में भली भांति जान लिया जाए। इसी प्रकार किसी कुंडली में गुरु तथा केतु के संयोग से गुरु चांडाल योग बनने की स्थिति में भी गुरु राहु द्वारा निर्मित गुरु चांडाल योग की भांति ही विभिन्न संभावनाएं हो सकतीं हैं तथा इस योग का फल गुरु और केतु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा बल इत्यादि पर निर्भर करेगा। किसी कुंडली में अशुभ गुरु तथा अशुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग जातक को एक घृणित व्यक्ति बना सकता है तथा ऐसा जातक जाति, धर्म आदि के आधार पर बहुत सारे लोगों को कष्ट पहुंचा सकता है या उनकी हत्या भी कर सकता है जबकि शुभ गुरु तथा शुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग समाज को आध्यतमिक तथा मानवीय रूप से बहुत विकसित जातक प्रदान कर सकता है जो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा तथा जन कल्याण में ही व्यतीत कर देते हैं। इस प्रकार गुरु चांडाल योग का परिणाम विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है तथा किसी कुंडली में गुरु तथा राहु केतु के शुभ होने की स्थिति में जातक को इस योग से बहुत अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं।
( पं. प्रियेश मौद्गिल ) कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : - 9996391452
चांडाल योग राहु-गुरु की युति या दृष्टि संबंध से बनता है, जिसे गुरु-चांडाल योग के नाम से जाना जाता है। इस योग की सबसे बड़ी बात यह है कि गुरु ज्ञान, धर्म, सात्विक, पंडित्व sharda का कारक है, तो राहु अनैतिक संबंध, अनैतिक कार्य, जुआ, सट्टा, नशाखोरी, अवैध व्यापार का कारक है।
गुरु-राहु के संयोग की वजह से इसका प्रभाव जातक की कुंडली में इन ग्रहों के स्थानानुसार पड़ता है। राहु गुरु के प्रभाव को नष्ट करता है व उस जातक को अपने प्रभाव में जकड़ लेता है। पराई स्त्रियों में मन लगवाता है, चारित्रिक पतन के बीज बो देता है। इसके अलावा ऐसा राहु हिंसक व्यवहार आदि प्रवृत्तियों को भी बढ़ावा देता है।
सामान्यतः यह योग अच्छा नहीं माना जाता। जिस भाव में होता है, उस भाव के शुभ फलों की कमी करता है। यदि मूल जन्मकुंडली में गुरु लग्न, पंचम, सप्तम, नवम या दशम भाव का स्वामी होकर चांडाल योग बनाता हो तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। जीवन में कई बार गलत निर्णयों से नुकसान उठाना पड़ता है। पद-प्रतिष्ठा को भी धक्का लगने की आशंका रहती है।
वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। राहु मकर राशि में मित्र का ही माना जाता है (शनिवत राहु) अतः यह बुद्धि भ्रष्ट करता है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर प्रेरित करता है।
किन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गुरु चांडाल नाम का यह योग प्रत्येक जातक को अशुभ प्रभाव नहीं देता बल्कि इस योग के प्रभाव में आने वाले अनेक जातक बहुत अच्छे चरित्र तथा उत्तम मानवीय गुणों के स्वामीं भी होते हैं जिन्हें समाज में विशिष्ट स्थान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग निश्चिय ही जातक में भौतिकता को बढ़ावा दे सकता है किन्तु इस प्रकार के गुरु चांडाल योग का फलादेश करने से पहले कुंडली में गुरु तथा राहु के स्वभाव को जान लेना अति आवश्यक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी कुंडली में अशुभ राहु के शुभ गुरु के साथ संयोग होने से बनने वाला गुरु चांडाल योग गुरु की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं पर दुष्प्रभाव डाल सकता है जैसे कि यदि किसी कुंडली में शुभ गुरु यदि जातक के व्यवसाय को प्रदर्शित कर रहे हैं तो इस कुंडली में गुरु तथा अशुभ राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के कारण निश्चय ही ऐसा जातक धन कमाने के लिए अवैध तथा अनैतिक कार्यों का चुनाव कर सकता है क्योंकि अशुभ राहु का प्रभाव गुरु को भ्रष्ट कर देगा जिसका असर गुरु की विशेषता से संबंधित क्षेत्र अर्थात जातक के व्यवसायिक क्षेत्र में देखने को मिल सकता है।
किसी कुंडली में सबसे बुरी स्थिति तब देखने को मिल सकती है जब कुंडली में अशुभ राहु तथा अशुभ गुरु के संयोग से गुरु चांडाल योग का निर्माण हो रहा हो क्योंकि इस प्रकार के गुरु चांडाल योग के प्रभाव में आने वाले जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। किसी कुंडली में शुभ गुरु तथा शुभ राहु द्वारा बनाए जाने वाले गुरु चांडाल योग के परिणाम इस योग के साथ जोड़े गए दुष्परिणामों से बिल्कुल भिन्न होते हैं तथा शुभ गुरु और शुभ राहु द्वारा बनाया जाने वाला यह गुरु चांडाल योग जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अच्छे तथा शुभ फल प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए शुभ गुरु तथा शुभ राहु के किसी कुंडली के पांचवे घर में स्थित होने से बनने वाले गुरु चांडाल योग का शुभ प्रभाव जातक को एक प्रसिद्ध तथा प्रतिष्ठित दार्शनिक, समाज सेवी, संत, आध्यतामिक गुरु अथवा आध्यतमिक रूप से विकसित व्यक्ति अथवा ज्योतिषी इत्यादि बना सकता है तथा इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक समाज के हित के लिए विशेष रूप से प्रयास करते हैं जिसके कारण इन्हें समाज में यश तथा सम्मान प्राप्त होता है।
इसके अतिरिक्त किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग होने पर यह भी संभव होता है कि इन दोनों ग्रहों में से राहु शुभ हों तथा गुरु अशुभ हों जिसके चलते कुंडली में गुरु चांडाल योग तो बनेगा किन्तु यहां पर अशुभ गुरु ही वास्तव में चांडाल का काम करेंगे तथा अशुभ गुरु के प्रभाव में आने के कारण राहु को दोष लग जाएगा जिसके चलते जातक को राहु की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए किसी कुंडली में गुरु तथा राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के फलों के बारे में बताने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि उस कुंडली में गुरु तथा राहु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा इन दोनों के बल आदि के बारे में भली भांति जान लिया जाए। इसी प्रकार किसी कुंडली में गुरु तथा केतु के संयोग से गुरु चांडाल योग बनने की स्थिति में भी गुरु राहु द्वारा निर्मित गुरु चांडाल योग की भांति ही विभिन्न संभावनाएं हो सकतीं हैं तथा इस योग का फल गुरु और केतु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा बल इत्यादि पर निर्भर करेगा। किसी कुंडली में अशुभ गुरु तथा अशुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग जातक को एक घृणित व्यक्ति बना सकता है तथा ऐसा जातक जाति, धर्म आदि के आधार पर बहुत सारे लोगों को कष्ट पहुंचा सकता है या उनकी हत्या भी कर सकता है जबकि शुभ गुरु तथा शुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग समाज को आध्यतमिक तथा मानवीय रूप से बहुत विकसित जातक प्रदान कर सकता है जो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा तथा जन कल्याण में ही व्यतीत कर देते हैं। इस प्रकार गुरु चांडाल योग का परिणाम विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है तथा किसी कुंडली में गुरु तथा राहु केतु के शुभ होने की स्थिति में जातक को इस योग से बहुत अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं।
( पं. प्रियेश मौद्गिल ) कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : - 9996391452
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें