विषय:- मीठी वाणी के कुंडली में योग"

विषय:- मीठी वाणी के कुंडली में योग"
1⃣वाणी का नैसर्गिक कारक ग्रह बुध है..इसके अलावा कुंडली का द्वितीय भाव,वृषभ राशि,चंद्र,शुक्र और गुरु की सही स्थितियाँ जातक को मीठी वाणी प्रदान करते है।
2⃣द्वितीय या अष्टम में चंद्र+बुध+शुक्र तीनो बैठे हो तो जातक की वाणी मधुर और श्रोताओं को हर्षित करने वाली होती है।
3⃣द्वितीय भाव या वृषभ राशि मे यदि कोई ग्रह ना हो या कोई शुभ ग्रह हो साथ ही ये भाव/राशि शुभकर्तरी योग में आ जाये तो जातक कभी कटुवाणी नही बोलता।
4⃣चंद्र,बुध,शुक्र तीनो किसी भी क्रम में 12-1-2, 1-2-3, 2-3-4 में बैठ जाये तो जातक कम बोलने वाला होता है पर उसके शब्दों में बहुत वजन होता है। स्पष्ट और कोकिला वाणी प्राप्त करता है।
5⃣दशम में मित्र राशि में बैठा गुरु यदि द्वितीय भाव मे बैठे किसी भी स्वग्रही ग्रह को अमृतदृष्टि दे तो भी जातक की जुबान लड़ाई-झगड़े,Court के Trail या चुनावी रैलियों में नही फिसलती..वाणी संयमित होती है।
6⃣द्वितीय भाव में जलतत्व राशि हो और उसमें कोई जलतत्व वाला ग्रह अकेले या साथ मे बैठे हो तो भी जातक की वाणी सुरीली होती है और किसी का दिल नही दुखाती।

( पं. प्रियेश मौद्गिल ) कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : - 9996391452

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