संदेश

सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एकादशी व्रत के लाभ

 एकादशी व्रत के लाभ एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है । जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है । धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है । कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है । परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है । एकादशी के दिन करने योग्य  एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .......अगर घर में...

जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है

जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी काम को करने से पहले पूजा-पाठ की जाती है जिससे कि आगे चल कर कोई समस्या उत्पन्न न हो। इसी साथ लोगों के मन में हर देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रृद्धा है जो अपने-अपने तरीके से व्यक्त करते है।  इसी तरह पूजा-पाठ के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का भी विशेष महत्व है। यह आप अच्छी तरह जानते है कि तंत्र-मंत्र के पिता भगवान शिव है।  जिससे कि इन्हें हम लोग अपना आराध्य देव और उनके शक्ति स्वरूप मां दुर्गा को अपनी माता मानते हैं। भगवान शिव सभी की हर मनोकामना पूर्ण करते है। भगवान शिव ऐसे भगवान है जिसे प्रसन्न करना मुश्किल काम नही है। देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने के लिए विभिन्न प्रकार के मालाओं का इस्तेमाल करते है, लेकिन हमें किस माला का किस देवी-देवता का जाप करना है यह नही जानते जिससे कि हमारी मनोकामना पू्र्ण नही होती। जानिए किस माला से किस मनोकामना की पूर्ति होती है। 1  रुद्राक्ष जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। इससे शिव का जाप कर आससानी से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। अगर आप शिव भ...

कालसर्प दोष - श्राद्ध पक्ष उपय

कालसर्प दोष    -   श्राद्ध पक्ष   उपय पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, वे अगर श्राद्ध पक्ष में इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव में कमी आती है। ज्योतिष के अनुसार, कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन सा कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप श्राद्ध पक्ष में कभी भी ये उपाय कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके निवारण के लिए उपाय इस प्रकार हैं-    अनन्त कालसर्प दोष अनन्त कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष में एकमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। ➡ - यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो श्राद्ध के दौरान रांगे (एक धातु) से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें।  कु...

गायत्री महिमा जीवन उपचार ( नव सिद्ध धुनी उपाय )

चित्र
गायत्री महिमा :- जीवन में अनिष्ट उपचार का महत्व :- ‘गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है, केशव से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं है।  गायत्री मंत्र   के जप से श्रेष्ठ कोई जप न आज तक हुआ है और न होगा।’ गायत्री मंत्र  ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ यह  शरीर व मन को पवित्र बनाने के लिए की जाती है। गा यत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सदमार्ग की तरफ चलने  में प्रेरित करे।  हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये हर देवी-देवता का गायत्री मंत्र अलग होता है  गणेश :-  ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। विष्णु:-  ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।। दुर्गा :-  1. ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदय...

नवग्रह गायत्री मंत्र और बीज मंत्र ( नव सिद्ध धुनी उपाय )

चित्र
                                                                         नवग्रह गायत्री मंत्र  और   बीज  मंत्र सूर्य गायत्री मंत्र ॐ भास्कराय विदमहे महातेजाय धीमहि | तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात ||  ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥    जप संख्या- 7000                                  चंद्र गायत्री मंत्र ॐ अमृताड्गाय विदमहे कलारुपाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात् ॥ ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः  ॥    जप संख्या- 11,000                                     मंगल गायत्री मंत्र  ॐ अंगारकाय विदमहे शक्तिहस्ताय  धीमहि | तन्नो: भौम प्रचोदया...