गायत्री महिमा जीवन उपचार ( नव सिद्ध धुनी उपाय )
गायत्री महिमा :-
जीवन में अनिष्ट उपचार का महत्व :-
‘गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है, केशव से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं है। गायत्री मंत्र के जप से श्रेष्ठ कोई जप न आज तक हुआ है और न होगा।’
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥यह शरीर व मन को पवित्र बनाने के लिए की जाती है।
गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है।
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सदमार्ग की तरफ चलने में प्रेरित करे। हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये
हर देवी-देवता का गायत्री मंत्र अलग होता है
गणेश :-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।
विष्णु:-
ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
दुर्गा :-
1. ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
2. महा देव्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
3. ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।
लक्ष्मी:-
ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी ।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।
शुभम करोति कल्याणम,
अरोग्यम धन संपदा,
शत्रु-बुद्धि विनाशायः
दीपःज्योति नमोस्तुते !
काली :-
ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।
हनुमान :-
ॐ आंजनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।
नरसिंह गायत्री :-
ॐ नरसिंहया विद्महे, वज्रा नखाया धीमहि. तन्नो नरसिंहः प्रचोदयात्. ।।
॥ ॐ शान्तिः॒ शान्तिः॒ शान्तिः॑ ॥
लक्ष्मी:-
ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी ।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।
शुभम करोति कल्याणम,
अरोग्यम धन संपदा,
शत्रु-बुद्धि विनाशायः
दीपःज्योति नमोस्तुते !
काली :-
ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।
हनुमान :-
ॐ आंजनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।
ॐ नरसिंहया विद्महे, वज्रा नखाया धीमहि. तन्नो नरसिंहः प्रचोदयात्. ।।
आदेश आदेश !
नव सिद्ध धुनी की विधि के लिए संपर्क करे ! यह बहुत ही चमत्कारी विधि है जो नव दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होती है यह नौ नाथो की कृपा का वरदान है ! जिससे व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओ का निवारण आसान और सुलभ मार्ग से कर सकता है !जैसे : - ग्रह शांति , धन लाभ , शुभता के लिए , यश , मान सामन ,पद उन्नति , ज्ञान बुद्धि , उपासना , पति- पत्नी सम्बन्ध दोष निवारण,संतान प्राप्ति , आर्थिक संकट , गृह कलेश निवारण , संकट नाशक और शत्रु से छुटकारा , कर्ज मुक्ति निवारण , अपमान व अपशय से बचाव , बच्चो की विध्या के लिए आदि !
नव सिद्ध धुनी साधक की परमात्मा को समर्पित भावनाओ , प्राथना और आराधना का समावेश है
इस विधि में ग्रह तांत्रिक-मंत्र , नवग्रह गायत्री मंत्र और बीज मंत्र वे देवी गायत्री , गणेश गायत्री , लक्ष्मी नारायण गायत्री, हनुमंत गायत्री , शिव गायत्री , मंगल गायत्री , सरस्वती गायत्री ,कृष्ण गायत्री , पूजा मंत्र द्वारा , मानसिक पूजा मंत्र , नमस्कार मंत्र , देवी - देवताओ के मंत्रो द्वारा सार्थक है !
नोट : - गायत्री मंत्र कोई भी कर कर सकता है ग्रह शान्ति के लिए परन्तु बीज मंत्र और तांत्रिक
मंत्र केवल लग्न कुण्डली में ग्रहो के शुभ और अशुभ प्रभावो को ध्यान में रख कर करना चाहिए ! ज्योतिषीय सलाह आवश्यक है !
कुण्डली अध्ययन के लिए संपर्क करे : -
9996391452
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