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MANTRA WITH MAA ( शरभ माला मंत्र )

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संक्षिप्त शरभ पूजन : - --------------------------- ॐ गुं गुरुभ्यो नमः  ॐ श्री गणेशाय नमः  ॐ श्री सांब सदाशिवाय नम:  ॐ ह्रीं  दूं दुर्गायै नमः ॐ श्री शरभेश्वराय नम:  फिर आचमनी या चमच से चार बार बाए हाथ से दाहिने हाथ पर पानी लेकर पिए  ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा  ॐ विद्या तत्वाय स्वाहा  ॐ शिव तत्वाय स्वाहा  ॐ सर्व तत्वाय स्वाहा उसके बाद गुरु मंडल का ध्यान कर  पूजन के स्थान पर पुष्प अक्षत अर्पण करे  ॐ श्री गुरुभ्यो नमः  ॐ श्री परम गुरुभ्यो नमः  ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नमः गुरु मंत्र का कमसे कम 5 बार जाप करे  उसके बाद अपने आसन का स्पर्श करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे ॐ पृथ्वीव्यै नमः अब तीन बार सर से पाँव तक हाथ फेरे  ॐ श्री शरभेश्वराय  नमः आत्मानं रक्ष रक्ष अब जल के पात्र को गंध लगाकर अक्षत पुष्प अर्पण करे ॐ कलश मण्डलाय नमः अब गणेशजी का ध्यान करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे  वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ  निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॐ श्री गणेशाय नमः का 11 या 21 बार जाप करे अब भगवान शिव का ध...

MANTRA ( बाल संस्कार )

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*।।*बाल संस्कार*।। * *अपने बच्चो को निम्नलिखित श्लोकों को नित्य दैनन्दिनी में शामिल करने हेतु संस्कार दे एवं खुद भी पढ़ें।* *प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह* *प्रात: कर-दर्शनम्* कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥ *पृथ्वी क्षमा प्रार्थना* समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते। विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥ *त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण* ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥ *स्नान मन्त्र* गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥ *सूर्यनमस्कार* ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम् सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥ ॐ मित्राय नम: ॐ रवये नम: ॐ सूर्याय नम: ॐ भानवे नम: ॐ खगाय नम: ॐ पूष्णे नम: ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ॐ मरीचये नम: ॐ आदित्याय नम: ॐ सवित्रे नम: ॐ अर्काय नम: ॐ भास्कराय नम: ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: आदिदेव नमस्तुभ्...

God Ganesh गणेश जी प्रसन जीवन प्रसन, सभी परेशानियों का संपूर्ण समाधान

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''श्री गणेश जी ''  एक  सुपारी पीले कपड़े के आसान  पर विराजमान  करे सुपारी गणेश जी का रूप माना जाता है  ! पांच सोमवार- के- सोमवार  तक दो लड्डू  का भोग लगा के चावल अर्पित करे  कुमकुम लगायें  !  लड्डू का प्रसाद बच्चों में बांटे या गाय को दे   ,   पांच सोमवार के बाद आसान सुपारी और अर्पित चावल  जल प्रवाह कर दे   हर मनोकामना के लिए कर  सकते है ! यदि आपके कार्यो में विघ्न होता है और किसी अन्य प्रकार की परिस्थिति जैसे पति - पत्नी का मनमुटाव          ( अनबन ) , परिवार कलह ,व्यापार में घाटा , कोर्ट केस , नौकरी में झंझट , तरक्की में रुकावट या अन्य विघ्न - बाधा आपको सताती है  तो आप इस सरल मंत्र जप से उन पर विजय प्राप्त कर सकते हो  '' ॐ गं गणपतये नमः ''  अनेक विद्वानों ने इन्हे कलियुग का सर्वोत्कृष्ट देवता मना  है ! 125000 जप करने से सभी बाधाओं को दूर  कर मनोवांछित इच्छा पूरी  होती है ! यदि कोई व्यक्ति एक सुपारी को गण...

LAKSHMI MATA KI JAI माँ लक्ष्मी के अष्ट लक्ष्मी रूप

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जय माँ लक्ष्मी माँ लक्ष्मी के अष्ट लक्ष्मी रूप   !! माँ लक्ष्मी के 8 रूप माने जाते है या यह कहे की आठ प्रकार की लक्ष्मी होती है , हर रूप विभिन्न कामनाओ को पूर्ण करने वाला है | दिवाली और हर शुक्रवार को माँ लक्ष्मी के इन सभी रूपों की वंदना करने से असीम सम्पदा और धन की प्राप्ति होती है १ ) आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी : माँ लक्ष्मी का सबसे पहला अवतार जो ऋषि भृगु की बेटी के रूप में है। २ ) धन लक्ष्मी : धन और वैभव से परिपूर्ण करने वाली लक्ष्मी का एक रूप | भगवान विष्णु ने भी एक बार देवता कुबेर से धन उधार लिया जो समय पर वो चूका नहीं सके , तब धन लक्ष्मी ने ही विष्णु जी को कर्ज मुक्त करवाया था | ३ ) धन्य लक्ष्मी : धन्य का मतलब है अनाज : मतलब वह अनाज की दात्री है। ४ ) गज लक्ष्मी : उन्हें गज लक्ष्मी भी कहा जाता है , पशु धन की देवी जैसे पशु और हाथियों , वह राजसी की शक्ति देती है , यह कहा जाता है गज ...

HEMATITE STONE FOR POSITIVE ENERGY ( अभिमंत्रित व प्राण प्रतिष्ठित ) चक्र चिकित्सा।

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  चक्र चिकित्सा। HEMATITE STONE FOR POSITIVE ENERGY ( अभिमंत्रित व प्राण प्रतिष्ठित ) प्राण ऊर्जा के प्रवाह को अच्छा करता है शरीर की ऊर्जा को संतुलित करना। ... तनाव से राहत और ऊर्जावान शुद्धि। ... शरीर में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। ... शरीर के सभी प्रकार के दर्दों को दूर करता है। ... शरीर की सभी कोशिकाओं को अधिकतम रूप से कार्य करता रहता है। ... मन और नसों को शांत करने में मदद करें। ... रचनात्मकता को बढ़ाएं। बुरी नजर से बचाने में प्रभावी सहायक सिद्ध होता है इस कारण आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और सफलता प्राप्त करते हैं अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें आपकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। यह चिंताओं को दूर करता है और आपके जीवन को आसान बनाता है। यह चक्र उपचार और संतुलन के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण है। इस प्रकार, यह आपको करियर, व्यवहार, रिश्तों और जीवन में स्थिरता को बढ़ावा देता है। यह आपके भीतर ज्ञान, परिपक्वता और ईमानदारी का संचार करता है। यह आपकी दृष्टि को साफ करता है और आपको लक्ष्य-उन्मुख बनाता है। यह समर्थन की भावना देता है जिसके साथ आप अकेला महसूस नहीं करते हैं। यह ...

NAAG GAYATRI MANTRA नाग गायत्री मंत्र ,सर्प सूक्त, राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें

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पूजन विधि 〰️〰️〰️〰️ नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे।  शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं। इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे। घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें। घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं। इसके बाद 'ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा' का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के क...

RAHU AND KETU राहु-केतु और डर

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राहु-केतु और डर - •• वो रात्रि में चौंक कर उठ बैठता था । फिर किसी कोने में छाये घुप्प अँधेरे को घूरने लगता था । अपने नींद से जाग जाने का उसको कोई कारण समझ नहीं आता था । लेकिन फिर उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ने लगती थी और वो एक झुरझुरी लेकर उस हो रहे प्रभाव को समझने का प्रयास करता था । वो एक डर था - जिसे वो जानता नहीं था । वो एक योगी था जो डर को भूला चूका था लेकिन उस समय हो रहे डर के प्रभाव को समझने का प्रयास कर रहा था । उस पर राहु की दशा चल रही थी । उसका चंद्र - राहु-केतु के साथ था । वो जानता था - अंधेरे में हो रही गतिविधि का नाम राहु था, हवा में हो रही साँय-साँय का नाम राहु था । अचानक प्रकट हो गये प्रभाव का नाम राहु था ।  इसलिये जब-जब वो रात्रि को चौंक कर उठ बैठता था तो अँधेरे को घूरने लगता था । मानो उसे राहु दिख जाने वाला था । लेकिन वो उस डर के प्रभाव को अपने अंदर अलग से समझ सकता था । वो खुद से ही सवाल करता था कि - ये कहाँ से उसके अंदर आया था । उसे तो मृत्यु से भी डर नहीं लगता था । वो तो मृत्यु का अनुभव करने को उत्सुक था । फिर ये क्या था और कहाँ से आया था । बहरहाल, इस तरह की हरक...