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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ketu prabhav / केतु दरवेश

केतु दरवेश  +++++++++++++ मित्रों ज्योतिष में केतु को मोक्ष का कारक ग्रह माना गया है | केतु को लाल किताब में कुल को तारने वाला , दुनिया की आवाज़ को मन्दिर तक पहुचाने वाला साधू ,मौत की निशानी यानी मौत आने का समय बताने वाला , गोली की जगह आकर मरने वाला सुवर ,रंग बिरंगा जिसमे लाल रंग न हो ,पुत्र को केतु माना गया है | केतु को छलावा माना गया है पापी चाहे कैसा भी हो उसे बुरा ही माना गया है | चूँकि केतु की पाप ग्रह में गिनती होती है इसिलिय इसे बुरा ग्रह मना गया है |  केतु सूर्य के साथ होने पर उसके फल को कम कर देता है तो चन्द्र के साथ होने पर चन्द्र को ग्रहण लगा देता है | मंगल या शनी के साथ होने पर बुरा फल नही देता है लेकिन इन दो के साथ यदि कोई तीसरा ग्रह हो तो फिर तीनो का फल ही मंदा हो जाता है | गुरु के साथ उत्तम फल देता है और बुद्ध के साथ होने पर केतु बूरे फल देता है जबकि शुक्र के साथ होने पर केतु शुक्र की सहायता करता है | चूँकि केतु संतान का कारक है और चन्द्र माता का इसिलिय जब कभी भी केतु चन्द्र के साथ हो या चन्द्र के खाना नम्बर चार में हो तो जातक को संतान से सम्बन्धित समस्या और माता...

शुक्र ग्रह

शुक्र  ग्रह  ++++++++++++++++++++++ +++++++++++++++ मित्रों  शुक्र  जिसे  दैत्यों  के गुरु  होने  का दर्जा  प्राप्त  है | शुक्राचार्य   ही  एक मात्र  ऐसे  थे जिनके  पास  संजीवनी  विद्या  थी और ऐसा  पढने  को मिलता है  की  गुरु  ने  अपने   पुत्र  को ये  विद्या  सिखने  के लिय  शुक्राचार्य  के पास  भेजा  था , तो  इस  बात  से शुक्र  के महत्व  को  आप  आसानी  से  समझ  सकते  है | हमारे  शरीर  में वीर्य  शक्ति  के रूप  में  तो स्त्री  में   रज के रूप में शुक्र  विद्यामान  है इसिलिय  इस   शक्ति  को भी   संजीवनी के समान  मानी  जाती है  | हमारे  सोरमंडल में सबसे  चमकीला तारा  यदि  कोई ग्रह  है  तो  वो  शुक्र  है |  शुक्र...

RAHU IS GOOD OR BAD राहू अच्छा या बुरा

राहू  अच्छा या बुरा  *********************** मित्रों संसार में काल्पनिक डर का सोच –विचार इंसानी दिमाक में विचार की लहरें और कल्पना शक्ति का स्वामी राहू है |जातक को शत्रुओं से बचाने वाला और उनका नाश करने वाला भी यही राहू है | चोट लगने पर फूंक मार कर ठीक कर देने का कमाल भी राहू का ही है | ये नीले आसमान का स्वामी है जिसकी सहायता करने पर उतारू हो जाए उसके सामने सारी दुनिया को झुका दें | हथेली में इसका कोई पर्वत नही क्योंकि ये पार्थिव ग्रह न होकर केवल छाया ग्रह है इसिलिय हथेली में इसका निशान जाल माना गया है | राहू की सरस्वती देवी आराध्य मानी गई है ये नीलम हाथी दांत विणा सोच विचार , बिजली , प्लेग , ख़ुफ़िया पुलिस का महकमा , जेल , ससुराल , काला काना इंसान . बेऔलाद इंसान , बिल्ली , जंगली चूहा , मकार इंसान , काटेदार घास , सिक्का धातु , नीला थोथा , जंग , नारियल , पायजामा , पतलून , हाथी , धुंवा आदि का कारक राहू को लाल किताब में माना गया है | राहू के प्रभाव को समझने के लिय हमे उसके स्वरूप के बारे में समझना होगा | राहू एक ऐसा शरारती ग्रह  है जिसने भेष बदलकर देवताओं के साथ बैढ़कर अमृत पान...

Pitro Ki Jankari / पितृ -दोष जानकारी

*#घर_के_प्रेत_या_पितर_रुष्ट_होने_के_लक्षण_और_उपाय* ---------------------------------- बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।  पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है।  आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है। वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित होती है  जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता  मनुष्य लोक एवं पितृ...

नवम भाव भाग्य भाव जानकारी

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नवम  भाव  भाग्य भाव  जानकारी  मित्रों अक्सर ज्योतिष से सम्बन्धित जो प्रश्न सबसे ज्यादा पूछा जाता है वो होता है की मेरा भविष्य क्या है ? त्रिकोण का सबसे बली भाव जो जातक को उपर ले जाने में मदद करता है | केंद्र जातक का आधार स्तम्भ होता है तो त्रिकोण जातक को लिफ्ट देने वाला होता है | धर्म त्रिकोण का सबसे महत्वपूर्ण भाव नवम भाव |   कुंडली  में वैसे तो  हर भाव का  अपना अपना  विशेष  महत्व  होता  है  लेकिन नवम भाव  का महत्व एक  तरह  से  सबसे ज्यादा  होता  है |  ज्योतिष  की  लगभग  सभी  विधियों में नवम  भाव  को  भाग्य  भाव की  संज्ञा  दी  गई  | ये  भाव  हमारे  भाग्य  की बुनियाद  यानी की  नीव  होता  है  | हमारा  भाग्य  कैसा  है  भाग्य  का  जीवन  में कितना  साथ  मिलेगा  आदि   सभी  इसी  भाव  के  द्वारा  देखें...

Sanatan jankari / सनातन जानकारी

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विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान ) ■ क्रति = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग ■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग ■ 2 त्रुति = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल , ■ 60 विपल = 1 पल ■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) , ■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा ) ■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी , ■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग , ■ 3 युग = 1 त्रैता युग , ■ 4 युग = सतयुग ■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग ■ 76 महायुग = मनवन्तर , ■ 1000 महायुग = 1 कल्प ■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ ) ■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म ) ■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म ) सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l दो लिंग : नर और नारी । दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दो पूजा : वैदिक...