शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह
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मित्रों
शुक्र जिसे दैत्यों के गुरु होने का दर्जा प्राप्त है | शुक्राचार्य ही एक मात्र ऐसे थे जिनके पास संजीवनी विद्या थी और ऐसा पढने को मिलता है की गुरु ने अपने पुत्र को ये विद्या सिखने के लिय शुक्राचार्य के पास भेजा था , तो इस बात से शुक्र के महत्व को आप आसानी से समझ सकते है | हमारे शरीर में वीर्य शक्ति के रूप में तो स्त्री में रज के रूप में शुक्र विद्यामान है इसिलिय इस शक्ति को भी संजीवनी के समान मानी जाती है | हमारे सोरमंडल में सबसे चमकीला तारा यदि कोई ग्रह है तो वो शुक्र है |
शुक्र ज्योतिष में लक्ष्मी जी का प्रतिनिधित्व करता है इसिलिय इनके खराब होने पर इनकी पूजा करने की सलाह दी जाती है | इसके अतिरिक्त दही , गाय , बैल, पत्नी , कुम्हार , किसान , मनियार , पशु पालक , प्यार , नम्रता , बीज, मख्खन , घोड़े का सिंघार , कच्ची जगह , स्त्री के सिंगार का जहां समान मिले वो जगह , हिरा, कुरता आदि शुक्र की चीजें है हालाँकि बहुत सी वस्तु आती है सभी को लिखना सम्भव नही |
जैसा की आपको पता है की आकाश में शुक्र तारा साफ़ दिखाई देता है , स्वस्छता शुक्र की पहचान होती है | शुक्र का अर्थ होता है बलवान और जिस इन्सान का वीर्य बलवान हो वो हजारों में अलग खड़ा ही चमकता है ,शुक्र उच्च वाले व्यक्ति का चेहरा बहुत चमकता है और उसे जीवन में अच्छे भोग विलास के साधन मिलते है |
मित्रों आपने जो भी शुक्र पर पोस्ट पढ़ी होगी उनमे अधिकतर में आपने शुक्र को भोग विलास के बारे में ही ज्यादा पढ़ा होगा लेकिन कालपुरुष की कुंडली में शुक्र जहां जाकर उंच हो जाता है वो बारवां भाव होता है जिसे मोक्ष का भाव भी कहा जाता है यानी दुनिया के सभी भोतिक सुखो को भोगने के बाद यदि किसी ग्रह में आपको मोक्ष दिलाने की शक्ति है तो वो शुक्र है |
यदि हम कालपुरुष की कुंडली को देखें तो उसमे कुटुंब भाव का आधिपत्य शुक्र को ही सोंपा गया है और जैसा की आपको पता है की बिना स्त्री के कोई घर घर नही बनता है तो साथ ही धन को संचय करने की चाबी भी शुक्र को ही सौंपी गई है इसिलिय जिन घरों में धन स्त्री के हाथों संचित होता है वो अधिक सुरछित रहता है | कुंडली का सप्तम भाव जिसका मालिक शुक्र होता है वो शत्रु और आयु के भाव के बिच में पड़ता है इसिलिय कई बार जातक की स्त्री उसकी आयु को उसके रोग शत्रु से बचाने वाली सिद्ध होती है |
लेकिन जब कुंडली में शुक्र खराब हो तो उसके अशुभ फल भी उतने ही ज्यादा मिलते है | अन्य पापी ग्रह तो एकदम से फैसला कर देते है और अपना अच्छा बुरा फल जातक को दे देते है लेकिन खराब शुक्र जातक को घुट घुट कर जीवन जीने को मजबूर कर देता है |जातक जीवन में किसी प्रकार का आनन्द नही ले पता है उसको शारीरिक स्वास्थ्य में कमजोरी का सामना करना पड़ जाता है तो जीवन साथी जो उसका जीवन का साथ निभाने के लिय होता है तो ही उसके जीवन में अनेक समस्याएं पैदा करने लगता है | जातक में कामेक्षा की कमी या अधिकता दोनों ही जातक को नुक्सान पहुँचती है | इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हम आजकल के जीवन में लोगों के ग्रहस्थी जीवन से लगा सकते है की कैसे एक इंसान की पत्नी यानी की उसका शुक्र उसे घुट घुट कर जीने को मजबूर कर देती है | कुंडली में शुक्र थोडा सा खराब हुआ नही की उस इसान के लिय सुखमय जीना दूभर हो जाता है | कई बार शुक्र कुंडली में तो अच्छा होता है लेकिन जातक अपने कर्मो से उसे खराब कर लेता है और फिर उसे उसका दुस्प्रिणाम भुगतना पड़ता है |
जैसा की आपको पता है की विवाह कराने का कार्य गुरु ग्रह का है लेकिन उस विवाह को सही ढंग से चलाने का और एक खुशहाल विवाहिक जीवन व्यतीत करने का दायित्व शुक्र को ही सौंपा गया है इसिलिय यदि शुक्र खराब विवाहिक जीवन खराब , इसिलिय शुक्र को सही रखना आवश्यक होता है |
शुक्र के सबसे अच्छा उपाय होता है की अपनी [पत्नी को खुश रखा जाए | अवैध सम्बन्ध किसी भी हालत में न बनाये जाए | सुंदर और साफ़ वस्त्र सलिकें से पहने जाए | घर में सुन्दरता का वातावरण बनाये रखा जाए | इतर या परफ्यूम का प्रयोग किया जाए |
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