ketu prabhav / केतु दरवेश

केतु दरवेश 
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मित्रों ज्योतिष में केतु को मोक्ष का कारक ग्रह माना गया है | केतु को लाल किताब में कुल को तारने वाला , दुनिया की आवाज़ को मन्दिर तक पहुचाने वाला साधू ,मौत की निशानी यानी मौत आने का समय बताने वाला , गोली की जगह आकर मरने वाला सुवर ,रंग बिरंगा जिसमे लाल रंग न हो ,पुत्र को केतु माना गया है |
केतु को छलावा माना गया है पापी चाहे कैसा भी हो उसे बुरा ही माना गया है | चूँकि केतु की पाप ग्रह में गिनती होती है इसिलिय इसे बुरा ग्रह मना गया है | 
केतु सूर्य के साथ होने पर उसके फल को कम कर देता है तो चन्द्र के साथ होने पर चन्द्र को ग्रहण लगा देता है | मंगल या शनी के साथ होने पर बुरा फल नही देता है लेकिन इन दो के साथ यदि कोई तीसरा ग्रह हो तो फिर तीनो का फल ही मंदा हो जाता है | गुरु के साथ उत्तम फल देता है और बुद्ध के साथ होने पर केतु बूरे फल देता है जबकि शुक्र के साथ होने पर केतु शुक्र की सहायता करता है |
चूँकि केतु संतान का कारक है और चन्द्र माता का इसिलिय जब कभी भी केतु चन्द्र के साथ हो या चन्द्र के खाना नम्बर चार में हो तो जातक को संतान से सम्बन्धित समस्या और माता को परेशानी और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है |
केतु के बारे में एक मुख्य कथन है की ना तो चारपाई टूटे न ही बुढिया मरे और न ही बिमारी मालुम हो और न ही सब कुछ सही हो | धीरे धीरे तीर कमान की तरह झुकते जाना मगर टूटना नही यानी की तड़फ ते जाना लेकिन मौत भी न मिलना केतु की ही करामात होती है | जैसा की आपने देखा होगा की कोई उम्र दराज इन्सान चारपाई में काफी समय तक रहता है और दुःख पाटा रहता है लेकिन उसे मौत भी नशीब नही होती और ऐसी मौत केवल केतु देता है |
कुंडली में जब केतु बुरा हो तो उसका बुनियादी ग्रह शुक्र को भी आराम नही मिलता | जैसा की आपको पता है की केतु { पुत्र } शुक्र { रज ,वीर्य, पत्नी } का ही नतीजा होता है इसिलिय इसे इसका बुनिआय्दी ग्रह शुक्र कहा गया है | साथ ही जब कभी भी शुक्र को उसके साथी बुध की मदद न मिले या फिर कुंडली में मंगल बद हो तो केतु के उपाय से शुक्र को मदद मिलेगी |लाल किताब में केतु को बिर्हस्पती के बराबर का ग्रह माना गया है और केतु को गुरु का चेला कहा गया है ऐसे में जब शुक्र की मदद करने वाला केतु मंदा हो तो उसको ठीक करने के लिय बिर्हस्पती का उपाय करना होगा और फिर केतु शुक्र को मदद देगा | केतु जब भी बुद्ध के साथ या बुद्ध के घर तीन या छटे भाव में होगा बुरा फल देगा |
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केतु पीठ का कारक माना गया है इसिलिय उभरी हुई पीठ रईसी की निशानी होगी जबकि छोटी पीठ गुलामी की |
केतु को अला बला यानी भुत प्रेत का कारक भी माना गया है ऐसे में मकान यदि किसी गली में आखरी कोने का हो या मकान केतु का हो यानी जिस मकान में तिन दरवाजे हो या तिन तरफ से खुला हो और केतु कुंडली में खराब हो तो ऐसी बला का उस मकान पर ज्यादा असर होगा| इस मकान के आसपास को कोई मकान गिरा हुआ यानी बर्बाद और खंडर हालत का होगा और कुतों का वहाँ आवागमन होगा या कोई खाली मैदान भी हो सकता है |
पेशाब की बिमारी होना ,, औलाद से सम्बन्धित समस्या होना , पांव के नाख़ून खराब हो जाना , सुनने की ताकत कम हो जाना अदि केतु ख्ज्राब होने की निशानी होती है |हाथ केअंगूठे के नाख़ून वाला हिसा छोटा हो तो केतु दुश्मनों के साथ या उनके घर में होगा बुरा फल देगा इसी तरह अगर ये हिसा छोटा हो तो भी केतु बुरा फल देगा | 
केतु खराब वाले को कान में सुराख करके सोना पहनना हमेशा लाभ देगा | साधू दरवेश की सेवा करना | धारिवाले कुते की सेवा करना | गणेश जी की पूजा करना अदि केतु के मुख्य उपाय है |
केतु   के  बारे   में   एक  कहावत  प्रसिद्ध  है   की केट   छुडावे  खेत   यानी  की   केतु  जिस  भाव   में  हो   उस   भाव  से  सम्बन्धित  जातक  में  अलगाव   पैदा  कर  देता  है | अन्य  ग्रहों  की  तरह  केतु  की  ज्योतिष  में  अहम   भूमिका  होती  है | केतु  गणेश  जी , बेटा , भांजा  , ब्याज , सलाहकार ,  दरवेस , दोहता , कुता  , सुवर, छिपकली , कान ,  पैर , पेशाब , रीड  की  हड्डी , काले  सफेद  तिल , खटाई ,इमली , केला , कम्बल ,दहेज़  में  मिली  हुई  खाट, लहसुनिया , भिखारी , मामा , दूरदर्शी , चल  चलन , खरगोस , कुली , चूहा  आदि का  कारक  केतु   माना  गया  है | चन्द्र मंगल  इसके  शत्रु   ग्रह शुक्र  राहू मित्र   ग्रह  माने   गये   है   बाकी  के  ग्रह  इसके   सम  होते  है | इसका  समय  रविवार  को   उषाकाल  का  होता  है  इसिलिय इस  से  सम्बन्धित  उपाय  यदि  इस  समय  में  किये  जाए   तो   विशेष  लाभ  मिलता  है |
केतु  की  निर्बलता  को  गुरु  दूर  करता  है  | केतु  जब  मंगल  या  चन्द्र   के  साथ   हो  तो   दूषित  हो  जाता  है  जिसे  कान {केतु} में  सोना {_गुरु } पहनकर  इसके  दुस्प्रभाव  को कम  किया  जा  सकता   है |}
अन्य  ग्रहों  के  साथ  सम्बन्ध 
चन्द्र  के   साथ   जब  केतु  मिलता  है  तो   चन्द्र  ग्रहण  होता  है और   चन्द्र   ग्रहण  का  अर्थ  है   मानसिक   शान्ति  भंग  होना | दूध { चन्द्र } में  जब  खटाई {केतु  } डाला  जाता  है  तब   दूध  फट जाता  है यानी   चन्द्र  खराब  हो  जता  है  इसिलिय  पुराने  जमाने  में  दूध  फाड़ना   पाप   माना  जाता   था   और  पशु के  ब्याहने   के  बाद  कुछ  दिन  तक  अपने  आप  फटने  वाला  दूध  जिसे  खीस   कहा  जाता  था  उसे  खाना  शुभ   माना  जाता  था लेकिन  आजकल  लोग खुद   ही  दूध  फाड़कर  मिठाई  बनाते   है  वो  नही  जानते  की  वो  खुद   का  चन्द्र  खराब  कर  रहे  है | पुराने   समय  में   जब  चन्द्र  ग्रहण  होता था  तो  अपाहिज  लोग  चीलाकर  लोगों को   बताते   थे की चन्द्र  ग्रहण  है  कुछ  दान  करो  कस्ट  का  समय  है क्योंकि  चन्द्र  ग्रहण  को  अशुभ  माना  जाता  था  लेकिन  आजकल  पैसे  के  लालच   में   खुद  चन्द्र  को  पीड़ित  कर  रहे  है | 
मंगल  शेर   केतु  कुता  | शेर   के   सामने  कुते  की क्या  औकात |शेर  को  देखकर   ही  कुते  का  खून   खुश्क  हो   जाए ऐसे   में  दोनों   साथ  में  होने  पर दोनों  दोषपूर्ण |
बुद्ध  व्यापार  केतु  ब्याज | जो   आदमी   ब्याज  की  परवाह  करने  लगे  वो  व्यापार  में  सफल   नही  हो  सकता इसिलिय  इन  दोनों  का   साथ अच्छा  नही | बकरी  बुद्ध  को  उसके  कान  केतु  ने  ही  निर्बल   कर  दिया | इसी   प्रकार कुता  केतु को  उसकी  दुम यानी  बुद्ध  के  कटवाने  के   बाद  उसके  हड्काने  का  खतरा   नही  रहता | 
सूर्य  के  साथ  केतु  हुआ  तो   जातक  कान  का  कच्चा  हुआ | दुसरो  की  सलाह   और सफर  में नुकसान हुआ  |
शुक्र  जो   केतु  का  मित्र   माना  गया  है  लेकिन  जातक  को  पेशाब  की   समस्या  धात  की   समस्या   भी  दे  देता   है |
मित्रो केतु   को मोक्ष  का  कारक   भी  माना  गया  है  इसकी  शुभ   सिथ्ती  जातक  को  मोक्ष  की  राह  दिखला  सकती  है | इसके  अशुभ   होने  पर  जातक  का   मन  भटकता  रहता  है | सन्तान   से  सम्बन्धित   समस्या   रहती   है | कमर  या  पैर   का  दर्द  पेशाब   से सम्बन्धित  परेशानी  का  सामना   करना  पड़ता  है |


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